Saturday, June 27, 2009

Driftwood

I'm a piece of driftwood on the stream
No purpose in life, no cherished dream
Going however the current carries me forth
I love nothing and nothing do I loath

Sometimes I get entangled in a crevice or rock
Trees and bushes my way they block
Always the current pushes me on, and then I'm free
Drifting down for the rendezvous with the sea

Nothing more than clay in a potter's hand
Drifting mid-river, now resting on beach sand
Meeting the sea is destined, so I can't be late
So I'm washed away again by the currents of fate

Along the way, other driftwood I see
To some I cling, from some I flee
Some I love, I wish they would stay
But they all finally, just drift away

So it makes me sad, I'm all alone
Bruised and battered, cold to the bone
But there's the sea, just beyond this slope
The journey's end is my only hope

I've reached the sea, no more struggle and strife
I've reached the end, on the river of life
Show's over folks,now lets wind up fast
Freedom and peace, I'm home at last

-Prem

Saturday, June 13, 2009

पथ की पहचान


पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

पुस्तकों में है नहीं
छापी गई इसकी कहानी
हाल इसका ज्ञात होता
है न औरों की जबानी

अनगिनत राही गए
इस राह से उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर
छोड़ पैरों की निशानी

यह निशानी मूक होकर
भी बहुत कुछ बोलती है
खोल इसका अर्थ पंथी
पंथ का अनुमान कर ले।

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

यह बुरा है या कि अच्छा
व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ
दूसरे पर पग बढ़ाना

तू इसे अच्छा समझ
यात्रा सरल इससे बनेगी
सोच मत केवल तुझे ही
यह पड़ा मन में बिठाना

हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

है अनिश्चित किस जगह पर
सरित गिरि गह्वर मिलेंगे
है अनिश्चित किस जगह पर
बाग वन सुंदर मिलेंगे

किस जगह यात्रा खतम हो
जाएगी यह भी अनिश्चित
है अनिश्चित कब सुमन कब
कंटकों के शर मिलेंगे

कौन सहसा छू जाएँगे
मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी रुकेगा
तू न ऐसी आन कर ले।

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

Harivansh Rai Bachchan